तीर बहुत है तरकस में | Newsforum
ई रामास्वामी पेरियार जी की जयंती 17 सितंबर पर उन्हें समर्पित
जाने कहां गये वो लोग
जिन्होंने मिटाया था
जातिवाद, छुआछूत
चमत्कार, पाखंड का
बढ़ता हुआ, रुढ़िवादी रोग
जीता-जागता इंसान
भूखा मर रहा है
पत्थरों को कराते
छप्पन भोग
जाने कहां गये वो लोग
जिन्होंने मिटाया था
जातिवाद का रोग
कहां गये आंबेडकर
कहां गये पेरियार
उनके कार्यों को भुलाकर
बहुजन मत बनो होशियार
कहां गये साहुजी महाराज
कहां गये ज्योतिबा फुले
बहुजनो उनके आदर्शों
को क्यों भूले
कहां गये, बिरसा मुंडा
कहां गये, वीर नारायण
क्रांति को भूल बस, सब
पढ़ रहे हैं गुलामी की किताब
कहां गये, भुजबल
कहां गये, बालकदास
भूल गए शहादत को
युवा पीढ़ी कर रहे
भक्ति उपवास
कहां गये, कबीर
कहां गये, रविदास
कहां गये, गाडगे बाबा
कहां गये, नारायण गुरु
युवा पीढ़ी आगे आओ
फिर करना है क्रांति शुरू
बहुजन समाज के महापुरुषों की
विचार आज भी जिंदा है
उनके विचारों को भूल गए
वे इसलिए शर्मिंदा हैं
महापुरुषों की चाहत थी
युवा उनके अनुशरण करें
किन्तु युवा पीढ़ी तो
उनके विचारों से है परे
आओ साथी महापुरुषों का
अनुशरण करें
उनके दिखाए पथ पर चलें
क्रांति हमें विरासत में मिली है
हमारे विरासत से
सवर्णों की सत्ता हिली है
साथियों सर पे बांध लो कफन
जातिवाद, छुआछूत
चमत्कार, पाखंडवाद को
सब मिलकर कर दो दफन
लिख लो अपने माथे पर
मैं हूं, कबीर
मैं हूं, रविदास
मैं हूं, घासीदास
मैं हूं, वीर नारायण
मैं हूं, बिरसा
मैं हूं, बालकदास
मैं हूं, भुजबल
मैं हूं, ज्योतिबा फुले
मैं हूं, साहुजी महराज
मैं हूं पेरियार
मैं हूं आंबेडकर
मैं हूं सावित्री देवी फुले
अनगिनत तीर हमारे
तरकस में है
तबियत से तीर
निशाने पर तो मारो यारो
सेनापति बहुत हैं
सेना की जरुरत है??