.

विश्व धरोहर हमारी सभ्यता की पहचान है | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ. कान्ति लाल यादव

परिचय– सहायक आचार्य, उदयपुर, राजस्थान.


 

 

विश्व के प्रत्येक देश की धरोहर अपने राष्ट्र की अमूल्य संपदा, गौरवशाली संस्कृति की प्रतीक है। उस देश की निधि है। उस राष्ट्र की अनमोल विरासत है। उसे संभाल कर रखने की जरूरत है। क्योंकि यह हमारे पुरखों का उपहार है।अतीत की उपलब्धि और राष्ट्र का गौरव है। राष्ट्र का गौरवमय इतिहास है। हमारी धरोहर हमारी पहचान है।पुरखों की निशानी को रखना जरा संभाल कर। जो युवा पीढ़ी को देता है उर्जा, संदेश, ज्ञान- विज्ञान, कला, संस्कृति, इतिहास, ज्योतिष, ज्ञान और विज्ञान की समझ।

 

प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को ‘विश्व धरोहर दिवस’ या ‘विश्व विरासत दिवस’ के रूप में मनाते हैं।

 

प्राचीन काल से विश्व में महानतम बनाई गई अनमोल वस्तुओं की यादों को संजो कर रखने हेतु संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने 1983 से प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। जिसका प्रारंभिक नाम ‘विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस’ के रूप में रखा था। अब अंग्रेजी में “वर्ल्ड हेरिटेज डे” के रूप में।

 

एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने 1968 में दुनिया की प्रसिद्ध इमारतों तथा प्राकृतिक स्थलों की सुरक्षा हेतु एक प्रस्ताव रखा था जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ को 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में रखा यह प्रस्ताव सर्व सहमति से पारित भी हो गया और यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज सेंटर के रूप में निर्मित हुआ।प्रथम ‘विश्व विरासत दिवस’ 18 अप्रैल 1982 को ट्यूनीशिया में ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स’ द्वारा मनाया गया था।18 अप्रैल 1978 ईस्वी में पहली बार विश्व के कुल 12 स्थलों को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया था।

 

प्राचीन किलों, महलों, मक़बरों, मस्जिदों, मंदिरों, इमारतों, किताबों, तालाबों, झीलों और बावड़ियों आदि को सहजने, संभालने एवं इस अनमोल धरोहर को बचाने एवं संरक्षण प्रदान करने हेतु विश्व के प्रत्येक नागरिक का परम कर्तव्य है।

 

भारत की प्रथम विश्व धरोहर एलोरा की गुफाएं जो महाराष्ट्र में है जिन्हें 1983 में शामिल किया गया था। हमारे देश की अभी तक अंतिम विरासत को ‘यूनेस्को विश्व विरासत’ में हड़प्पा सभ्यता का शहर धोलावीरा को सम्मिलित किया है।भारत में जनवरी 2021 तक विश्व विरासत के रूप में यूनेस्को ने 40 स्थलों को शामिल किया है। 31 सांस्कृतिक स्थल, 8 प्राकृतिक स्थल और एक मिश्रित स्थल को शामिल किया हैं। यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के कुल सदस्य 21 है और 41 बैठकें हो चुकी हैं। विश्व विरासत दिवस की 2021 की थीम थी-“जटिल अतीत: विविध भविष्य” और 2022 की थीम- “विरासत और जलवायु” (हेरिटेज एंड क्लाइमेट) है।

 

भारत की प्रथम विश्व धरोहर एलोरा की गुफाएं हैं जो महाराष्ट्र में है जिसे 1983 में शामिल किया गया था। किसी प्राचीन धरोहर से हमें अतीत, वर्तमान और भविष्य का ज्ञान करने की सोहलियत होती है। इस विश्व विरासत दिवस पर विरासत को नष्ट होने के खतरे से पूर्व में जागृत होकर सुरक्षित एवं संरक्षण पहुंचाने का सुअवसर का संदेश देती है। इसे युद्ध एवं आतंकवाद से भी बचाना है।आज विश्व विरासत की धरोहर को बचा कर रखना बड़ी चुनौती भी है। विरासत के बारे में मार्कस गर्वे ने कहा था -“अपने पिछले इतिहास, उत्पत्ति और संस्कृति के ज्ञान के बिना लोग बिना जोड़ों के पेड़ की तरह है।”

 

और नेल्सन मंडेला ने भी कहा था- “हमारी समृद्धि और विविध सांस्कृतिक विरासत में हमारे राष्ट्र के निर्माण में मदद करने की गहरी शक्ति है।”

 

विश्व विरासत हमारे अतीत की गौरव गाथा को बयां करने वाला दस्तावेज ही नहीं बल्कि हमारी सभ्यता, संस्कृति, कला, ज्ञान-विज्ञान का सबूत है जो हमारा अतीत, वर्तमान और भविष्य की मजबूत नींव को खड़ा करता है और नवीन मार्ग प्रशस्त करने की आधारशिला भी है।


Back to top button