मेरा अभिमान भारतीय संविधान | Onlinebulletin.in
©जलेश्वरी गेंदले, शिक्षिका.
परिचय– पथरिया, मुंगेली, छत्तीसगढ़
सुबह चिड़ियों की पहली चहकान में।
मेरी सुबह के पहली मुस्कान में।
मेरे सारे अरमान में।
मेरे ठाठ- बाट शान में
बच्चों की बेफिक्री खेल के मैदान में।
प्यास के लिए मिले एक बूंद पानी में।
भूख लगे तो स्वादिष्ट भोजन में।
उड़ने के लिए खुले आसमान में।
सांस के लिए मिले ताजी हवा में।
मेरी गीत, गजल स्वतंत्र कविता में।
सफर के हर संसाधन में।
मेरे भविष्य को उज्जवल बनाने में।
शिक्षा के ज्योत से मिले ज्ञान में।
मुझे इंसान बन जीवन जीने के लिए मिले सम्मान में।
वैचारिक सोच सामाजिक
क्रांतिकारी सोच से मिली संस्कार में।
बिना इसके जीवन जीना
मुझे नहीं लगता आसान।
वो है मेरे भारत का संविधान।
हर पल हर क्षण में
ये सब मिलता
मेरे भारत के संविधान में
ना कोई ऊंच-नीच ना भेदभाव
जहां सभी जनों को मिलता सर्व सम्मान।
संविधान निर्माता समता सोच रखने वाले
मेरे बाबा साहब कितना रहे होंगे महान।
तेरे नहीं मानने से क्या होगा ??
आज उन्हें जाने पूरा सारा जहान
जय भीम जय संविधान।
संविधान दिवस 26 नवम्बर की आप सभी देशवासियों को बधाई एवं मंगलकामनाएं….