सुलगते शब्द : समीक्षात्मक अध्ययन … | newsforum

सुलगते शब्द एक नजर …
पुस्तक:- ‘सुलगते शब्द’ (दलित काव्य-संकलन)
संपादक : श्याम निर्मोही
प्रकाशक : सिद्धार्थ बुक्स, गौतम बुक सेंटर दिल्ली।
मूल्य ₹200 पृष्ठ 280
बीकानेर के युवा साहित्यकार श्याम निर्मोही के संपादन में हाल ही में सिद्धार्थ बुक्स गौतम बुक सेंटर दिल्ली से प्रकाशित कृति ‘सुलगते शब्द’ (दलित काव्य संकलन) पूरे भारतवर्ष में परचम लहरा रही है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों से साहित्यकारों ने इस कृति को ले करके अपने समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत किए है।
पुस्तक समीक्षा
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‘सुलगते शब्द’ एक नई धार नई पहचान :- नीरज सिंह कर्दम (बुलंदशहर उ. प्र.)
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सर्वप्रथम मान्य संपादकीय श्याम निर्मोही सर को बहुत बहुत शुभकामनाएं व धन्यवाद, जिन्होंने एक ऐसा काव्य संकलन ‘‘सुलगते शब्द’’ प्रकाशित किया जो दलित साहित्य को एक नई पहचान देता है।
दलित काव्य संकलन ‘‘सुलगते शब्द’’ एक ऐसा काव्य संकलन जिसमें 65 आंबेडकरवादी कवियों की हुंकार भरती कविताएं शामिल हैं। जो दर्शाती है कि पीढ़ी दर पीढ़ी कैसे अत्याचार हुए हैं और हम संघर्ष करके आगे बड़े है, काव्य संकलन ‘सुलगते शब्द’ में इतने बड़े कवियों के साथ मेरी रचना शामिल होना मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात है, इस संकलन में हम पिता पुत्र की रचनाएं एक साथ प्रकाशित हुई है, इसके लिए मैं मान्य संपादकीय श्याम निर्मोही तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं। ‘सुलगते शब्द’ देकर मान्य निर्मोही सर ने दलित साहित्य को एक नई धार दी है।
धीरे धीरे से आगे बढ़ते जाना
एक एक पेज की
सभी कविताएं पढ़ते जाना।
कुछ कहती हैं, कुछ दिखाती है
बहुत कुछ सिखाती है यहां कविताएं।
नाम है ‘‘सुलगते शब्द’’
जो देती दलित साहित्य को
एक उड़ान है।
65 आंबेडकरवादी कवियों ने
भरी है हुंकार,
2. ‘सुलगते शब्द’ काव्यात्मक समीक्षा अर्कवंशी राम शास्त्री (सीतापुर उ.प्र.)
‘सुलगते शब्द’ नामक काव्य संग्रह को पढ़ा जाए,
चलो अब पृष्ठ पथ पर धीरे से आगे बढ़ा जाए।
हैं जिसमें संकलित पैंसठ कवि यह ग्रंथ है वो ही,
हैं संपादक जो इसके नाम उनका श्याम निर्मोही।
हैं इसमें पृष्ठ दो सौ अस्सी कुल, कविताएँ सारी हैं,
मगर यह पंक्तियाँ छोटी, बड़े ग्रंथों पे भारी हैं।
है जिसमें वेदना, संत्रास, पीड़ा की कहानी है,
रहे सदियों से जो शोषित यह उनकी ही जुबानी है।
समय की बेड़ियों को काट आगे बढ़ रहे है वो,
दलित साहित्य के आयाम नित प्रति गढ़ रहे हैं वो।
यह शोषित और वंचित चेतना के गीत गाता है,
‘सुलगते शब्द’ इसके आग जन-जन में लगाता है।
3. हासिये के लोगों की आवाज : प्रभुदयाल बंजारे (सारंगढ़, यूपी).
संपादक श्याम निर्मोही द्वारा सम्पादित दलित काव्य संकलन ‘सुलगते शब्द’ मुझे आज 16/2/2021 को प्राप्त हुआ है। यह काव्य संकलन में मेरी भी तीन कविताओं को जगह दी गयी है। यह देश के उन हासिये के लोगों पर लिखे गये कविताएं हैं जो गरीबी, भूखमरी, छुआछूत, प्रताड़ना, औरतों का शोषण विरुद्ध आवाज है। यह ‘सुलगते शब्द’ में 65 कवियों द्वारा लिखी गई रचनाएँ हैं। मैं संपादक श्याम निर्मोही का आभार व्यक्त करता हूँ आप सदा इसी तरह लोगों का मार्ग दर्शन करते रहें इसके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं।
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यथार्थ को सामने लाने का प्रयास है ‘सुलगते शब्द’ : झारखंड के वरिष्ठ साहित्यकार अजय यतीश
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दिल्ली से प्रकाशित साझा काव्य संग्रह ‘सुलगते शब्द’ में 65 कवियों को शामिल किया गया है। मेरी भी कविताएं इस संग्रह में शामिल है। ऐसे वक्त में जब लोगों के बीच निराशा फैलाने की कोशिशें की जा रही है कुछ अमानवीय शक्तियां मानवता को नष्ट करने पर तुली हैं, फिर भी इस विकट परिस्थितियों के बीच हाशिए पर धकेल दिए गए लोग अपने शब्दों के माध्यम से भोगे गए यथार्थ को दुनिया के सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं यह स्वागत योग्य है। इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए संपादक श्याम निर्मोही को धन्यवाद।।
5. जज्बातों की सुलगने है ‘सुलगते शब्द’ : पटना बिहार से वरिष्ठ कवयित्री रंजू राही
‘सुलगते शब्द’ दलित काव्य संकलन
एक बहुत ही बेहतरीन पुस्तक है
जिसमें देश के जाने-माने दलित कवियों
ओमप्रकाश वाल्मीकि, सुशीला टाकभौरे, जयप्रकाश कर्दम, सूरजपाल चौहान, कुसुम वियोगी, कर्मानंद आर्य एवं आरजी कुरील जैसे कवियों की खूबसूरत रचनाओं का संग्रह है।
संपादक श्याम निर्मोही ने देश के दलित कवियों को एक दुसरे से जोड़ने की बहुत ही सराहनीय कार्य किया। इसमें सारी कविताएं एक से बढ़ कर एक है। अपने अपने जज्बातों को ‘सुलगते शब्द’ के माध्यम से रुबरु करवाया है।
पुस्तक की गुणवत्ता सर्वोत्तम एवं उत्कृष्ट है। जिसमें पृष्ठ संख्या 202 पर मेरी भी रचना —
दलित की बेटियां और सुनो पतित “छपी है
बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार
श्याम निर्मोहीजी।
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सामाजिक आंदोलन की कविताएं : दिल्ली के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कुसुम वियोगी
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श्याम निर्मोही द्वारा संपादित काव्य कृति ‘सुलगते शब्द’ अभी प्राप्त हुई। शीर्षक और कवर पृष्ठ जितना आकर्षक है संभवतया रचनाएं भी उतना ही सामाजिक बदलाव के लिए मानुष मन को आंदोलित करेगी । मेरी तीन रचनाओं को संग्रह में समाहित करने के लिए धन्यवाद बंधुवर..।
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गागर में सागर : किशनगढ़ रेनवाल जयपुर के सुप्रसिद्ध कवि विनोद वर्मा रलावता
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आज श्याम निर्मोही के सम्पादन में दिल्ली के सिद्धार्थ प्रकाशन से छपी किताब ‘सुलगते शब्द’ प्राप्त हुई सभी लेखकों की कविताएं गागर में सागर है। मेरी भी कविताओं को इस संकलन में शामिल किया गया धन्यवाद श्याम।
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क्रांतिकारी कविताएं : शोधार्थी समय सिंह जोल
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साहित्य चेतना मंच के महासचिव, कवि, श्याम निर्मोही द्वारा संपादित पुस्तक ‘सुलगते शब्द’ की प्रति आज मुझे डाक द्वारा प्राप्त हुई। ‘सुलगते शब्द’ “साझा काव्य संग्रह में जहां वरिष्ठ साहित्यकारों की कलम रचना एवं उनके द्वारा लिखी गई क्रांतिकारी कविताओं का संकलन है। यह कविता संकलन समाज में परिवर्तन के लिए मील का पत्थर साबित होंगी ऐसी मुझे उम्मीद है।
श्याम निर्मोही को मेरी तरफ से बहुत-बहुत मंगल कामनाएं आप इसी तरह अपनी कलम से समाज में जागृति का काम करते रहें।
आपके सहयोग की आकांक्षा के साथ मेरे द्वारा रचित कवितायें भी आप सभी मित्रों को जल्दी पढ़ने को मिलेगी।
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प्रकाशक व अमेजॉन से भी प्राप्त कर सकते हैं
प्रकाशक- सिद्धार्थ बुक्स, गौतम बुक सेन्टर, दिल्ली।
रिपोर्ट: डॉ. नरेंद्र बाल्मीकि सहारनपुर.