मेरे विचार दर्शन की जड़ें धम्म में हैं, न कि राजनीति में. मुझे राजनीति की बजाय धम्म में ज्यादा रुचि है | Ambedkar
©डॉ. एम एल परिहार
Babasaheb says- “Definitely my social philosophy is based on three elements. Liberty, Equality and Fraternity. No one should misunderstand that I have taken this philosophy from the French Revolution. . My philosophy has its roots in Dhamma and not in politics. I have taken this philosophy from the teachings of my Guru Tathagat Buddha. These elements of politics may be included in the constitution, but it is necessary to implement them in social life.”
ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन: मेरे विचार दर्शन की जड़ें धम्म में हैं, न कि राजनीति में. मुझे राजनीति की बजाय धम्म में ज्यादा रुचि है.(Ambedkar)
बाबासाहेब कहते है- “निश्चित रूप से मेरा सामाजिक दर्शन तीन तत्वों पर आधारित है. स्वतंत्रता (Liberty), समानता (Equality) और बंधुत्व (Fraternity). किसी को भी यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि मैंने यह दर्शन फ्रांस की क्रांति से लिया हैं. मेरे दर्शन की जड़ें धम्म में है, न कि राजनीति में. मैंने यह दर्शन अपने गुरु तथागत बुद्ध की शिक्षाओं से लिया है. संविधान में भले ही राजनीति के इन तत्वों का समावेश हो, लेकिन उन्हें सामाजिक जीवन में लागू करना जरूरी है.” (Ambedkar)
“हर व्यक्ति का अपना दर्शन होना चाहिए. एक ऐसा मापदंड होना चाहिए जिससे वह अपने जीवन का आचरण परख सके. क्योंकि जीवन में ज्ञान, विनय, शील, सदाचार का बड़ा महत्व है.”
“मनुष्य सिर्फ पेट भरने के लिए जिंदा नहीं रहता है. उसके पास मन है. मन के विचार को भी खुराक की जरूरत होती है. और धम्म मानव मन में आशा का निर्माण करता है, उसे सदाचार का सुखी जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है.”(Ambedkar)
“मुझे मालूम है कि आपको धम्म की अपेक्षा राजनीति में अधिक रूचि है, लेकिन मुझे राजनीति की अपेक्षा धम्म में ज्यादा रुचि है. अब हमें जाति का संकुचित सोच त्याग कर स्वयं, समाज व देश के विकास के लिए दूसरे समाज से घुल मिलकर सहयोग लेकर आगे बढ़ना है.”(Ambedkar)
“कुछ लोगों की आदत होती है कि मिठाई मिलने पर वह खुद ही खा लेते हैं लेकिन मैंने धम्म की इस अनमोल मिठास को सभी में बांट दिया है. मैं अब अपना शेष जीवन बौद्ध धम्म के प्रचार में लगाऊंगा. प्रेम, करुणा व मैत्री के संदेश को घर घर पहुंचाऊंगा.”(Ambedkar)
“मैं बुद्ध के मार्ग को पसंद करता हूं क्योंकि इसमें प्रज्ञा, करुणा और समता के तीन ऐसे सिद्धांत हैं जो कहीं और नहीं हैं. तर्क, विज्ञान और विवेक की शिक्षा देता है जो सुखी जीवन के लिए बहुत जरूरी है. बुद्ध की शिक्षाएं ही विश्व के मानव समाज व व्यक्ति के पतन को बचा सकती है. बुद्ध की वाणी ही एक व्यक्ति व समाज के सुधार का दर्शन है इसलिए इसे फिर से तेज़ी से फैलाना है. मेरे जीवन का सच्चा कार्य तो धम्म प्रचार से ही शुरू हो रहा है.”(Ambedkar)
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