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कोशिश के हो तीर | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©डॉ. सत्यवान सौरभ

परिचय- हिसार, हरियाणा.


 

बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन ।

आँखों में आकाश हो, पांवों तले जमीन ।।

 

तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात ।

धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात ।।

 

बीते कल को भूलकर, चुग डालें सब शूल ।

बोये हम नवभोर पर, सुंदर-सुरभित फूल ।।

 

तूफानों से मत डरो, कर लो पैनी धार ।

नाविक बैठे घाट पर, कब उतरे हैं पार ।।

 

छाले पांवों में पड़े, मान न लेना हार ।

काँटों में ही है छुपा, फूलों का उपहार ।।

 

भँवर सभी जो भूलकर, ले ताकत पहचान ।

पार करे मझदार वो, सपनों का जलयान ।।

 

तरकश में हो हौंसला, कोशिश के हो तीर ।

साथ जुड़ी उम्मीद हो, दे पर्वत को चीर ।।

 

नए दौर में हम करें, फिर से नया प्रयास ।

शब्द कलम से जो लिखें, बन जाये इतिहास ।।

 

आसमान को चीरकर, भरते वही उड़ान ।

जवां हौसलों में सदा, होती जिनके जान ।।

 

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