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तुलसा बिहाव …

©सरस्वती साहू, (शिक्षिका), बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

मोर अंगना के तुलसा, तुलसा के सुघ्घर चौंरा

घुमव चारो कोति, बनके मैहर भौंरा

 

खुशयार के छाये मड़वा, देवत हे नीक छाँव

बैइठे तुलसा दाई, जोहारवँ तोरे पाँव

 

आगे देउठनी तिहार, तुलसा रानी के बिहाव

घर, अंगना लीप बहार, रेहन के चऊँक पुराव

 

सालिगराम बैइठे, तुलसा जेकर पटरानी

आरती गावय जम्मो, जय तुलसा महरानी

 

हरियर -हरियर पाना, फोंक म सुघ्घर दल

लोटा -लोटा ढारवँ, तुलसा दाई म जल

 

टीका, चंदन, सेंदूर, हरदी तोला लगावँव

सुमर -सुमर के तोला, नरियर, फूल चढाववँ

 

बिपत दूर भगवैया, हावय तुलसा के निगरानी

घर -घर पूजय तोला, जय तुलसा महरानी

 

होवत हे बिहाव, नाचे ता ता थै या

उठ के देवता आथे, देहे बर बधईया

 

सजे हे अंगना चौंरा, लक्ष्मी हर धरे पाँव

खुशयारी मनावँय, दाई तुलसा के बिहाव


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