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हमें चाहिये … | ऑनलाइन बुलेटिन

©भारती नंदनी

परिचय– मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

 

न हमें मन्दिर चाहिये, न मस्जिद चाहिये।

जिसमें बच्चे खेलते हैं एकसाथ वो विद्यालय चाहिये।।

 

 

न हमें अमीर चाहिये, न गरीब चाहिये ।

हमें तो बस इंसान में इंसानियत चाहिये।।

 

 

न कोई छोटा, न कोई बड़ा, न कोई ऊंच, न कोई नीच चाहिये।

जिसमें सब हो एकसमान ऐसा भारत देश चाहिये।।

 

 

न हमें फ़्री में चावल चाहिये, न फ़्री में नमक चाहिये।

हमें तो बस शिक्षा और रोजगार चाहिये।।

 

 

न हमें हिन्दू चाहिये, न मुस्लिम, न सिख, न ईसाई चाहिये।

हम भारतीय हैं और हमें हर इंसान में भारतीयता चाहिये।।

 

 

न हमें गीता, न वाईबिल, न कुरान चाहिये।

जिसमें है सबके लिए समान अधिकार वो संविधान चाहिये

वो संविधान चाहिये।।


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