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मंत्रालय जाने निकले नवा रायपुर के किसानों को पुलिस ने रोका तो फूटा गुस्सा, सड़क पर एक किसान की गई जान l ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर | (छत्तीसगढ़ बुलेटिन) | प्रदेश की नई राजधानी प्रभावित किसानों के आंदोलन के बीच एक किसान की मौत हो गई। किसान अपनी मांगों को लेकर मंत्रालय जाने निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक दिया। मृत किसान का नाम सियाराम पटेल बताया गया है। पैदल मार्च के बाद किसान सड़क पर बेहोश होकर गिर गया और उसके मुंह से झाग निकलने लगा। डॉक्टरों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। किसान बिरौदा गांव का रहने वाला था।

 

बता दें कि नई राजधानी प्रभावित किसानों के आंदोलन को 68 दिन हो गए हैं। मांग पूरी नहीं होने से किसानों का आक्रोश भी भड़कता जा रहा है। शुक्रवार को प्रभावित 27 गांवों के हजारों किसान मंत्रालय जाने के लिए निकले तो पुलिस ने रोक लिया। किसान और महिलाएं सड़कों पर बैठ गए। इसी दौरान एक किसान सियाराम पटेल पिता रामदयाल पटेल की तबीयत बिगड़ गई। वह बेहोश गिर गया। जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

 

समिति के अध्यक्ष रुपन चंद्राकर ने कहा कि किसान की मौत के लिए प्रशासन जिम्मेदार है। कल नवा रायपुर में प्रदर्शन स्थल पर कलेक्टर के साथ बैठक हुई थी। हमने पहले ही कह दिया था कि किसानों को अगर कहीं पर रोकते हैं तो वहां पानी और छांव की व्यवस्था की जाए, लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया।

 

किसानों के आंदोलन से सरकार की बढ़ी चिंता

 

बता दें कि इससे पहले 3 मार्च को किसानों ने मंत्रालय कूच किया था। उस दौरान भी पुलिस ने उन्हें रोका था। किसानों ने मांग पत्र सौंपा था, जिस पर क्या कार्रवाई हुई यह जानने किसान फिर मंत्रालय जाने निकले हैं। प्रशासन ने मंत्रालय जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया गया है।

 

एक दिन पहले किसानों के साथ प्रशासनिक अफसरों की बैठक भी हुई थी, लेकिन किसानों ने कह दिया कि मुख्य सचिव से मिलने दिया जाए और हमें अपनी मांगों के संदर्भ में चर्चा करने दिया जाए। किसानों के आंदोलन ने प्रशासनिक अफसरों व सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। एक दिन पहले ही कलेक्टर ने मंत्रालय और आसपास के 100 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दिया है।

 

क्रमिक भूख हड़ताल व आमरण अनशन जारी

 

राज्य शासन किसानों की छह मांगों को मान लेने का दावा करती है, लेकिन आंदोलनकारी किसान इसे राज्य सरकार का छलावा बताती है। नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के नेता रूपन चंद्राकर ने कहा कि भूपेश सरकार का यह फैसला किसानों के साथ छल है। भाजपा सरकार के समय ही इन मुद्दों पर निर्णय हो चुका था। उनकी मुख्य मांगों पर अभी तक विचार नहीं हुआ है।

 

पिछले सप्ताह मांग पत्र सौंपने मंत्रालय की कूच किए थे। अब उस पत्र पर क्या कार्रवाई हुई है, इसकी जानकारी लेने मंत्रालय जा रहे हैं। रूपन चंद्राकर ने बताया कि शासन द्वारा 6 मांग पूर्ण होने का दुष्प्रचार किया जा रहा है, जिसके विरूद्ध क्रमिक भूख हड़ताल एवं आमरण अनशन जारी है। आंदोलन में शामिल 30 सदस्यों नोटिस जारी किया गया है।

सीएम को भी बता चुके हैं अपनी समस्या

 

बता दें कि कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने 20 फरवरी को वन मंत्री के साथ मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा की। नई राजधानी प्रभावित किसानों की 8 मांगों में से 6 पर सहमति बनने की बात कही थी। आंदोलनकारी किसानों ने इसे सरकार का छल बताया है। इससे पहले 3 फरवरी को किसानों ने राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा था, लेकिन समय नहीं दिया गया। इसके बाद शाम को एयरपोर्ट पर किसानों ने सीएम से मुलाकात कर अपनी मांगों से अवगत कराया था। फरवरी में ही छत्तीसगढ़ के किसानों ने दिल्ली में किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की थी। टिकैत ने आंदोलन को समर्थन देने और राज्य सरकार से बात करने की बात कही है।


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