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समाज जब किसी मनुष्य को आचरण में उतारने की बजाय परमात्मा बनाकर जयघोष करता है तो समझो वह पतन की शुरुआत है | Ambedkar

Buddha
डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


 

Stop celebrating my birthday. Because when the society, instead of putting a human being into practice, shouts by making him a god, then understand that it is the beginning of the downfall of the society.

 

मेरा जन्मदिन मनाना बंद किया जाए. क्योंकि जब समाज किसी मनुष्य को आचरण में उतारने की बजाय परमात्मा बनाकर जयघोष करता है तो समझो वह समाज के पतन की शुरुआत है. (Ambedkar)

 

14 अप्रैल 1942… सदियों से शोषित वंचित समाज के मुक्तिदाता का वह पचासवां जन्मदिन था .पिछले कई साल से वंचित समाज बाबासाहेब की जयंती धूमधाम से मनाता आ रहा था. 50वां जन्मदिन भी देशभर में उल्लास व उमंग से मनाया जा रहा था. (Ambedkar)

 

बाबासाहेब द्वारा अछूतों व देश की खुशहाली के लिए किए गए कार्यों का उनके अनुयायियों के साथ विरोधी भी गुणगान कर रहे थे. उनकी विलक्षण प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता व राष्ट्रप्रेम के गुण गानों से अखबार भर गए थे. डॉ अंबेडकर जैसे गौरव पर महाराष्ट्र के सभी समुदायों द्वारा गर्व किया जा रहा था. (Ambedkar)

 

जगह जगह संस्थाओं द्वारा गोष्ठियां, सभाएं, जुलूस, जनसेवा व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे. देश विदेश के बुद्धिजीवी वर्ग, राजनेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बाबासाहेब की योग्यता व महान योगदान का महिमामंडन किया. (Ambedkar)

 

मानवता के मसीहा के पचासवें जन्मदिन का जश्न 12 अप्रैल को मुंबई से शुरू हुआ और पूरे देश में नौ दिन तक मनाया गया. एक सच्चे राष्ट्रप्रेम, मानवतावादी व विराट व्यक्तित्व के प्रति आदर व सम्मान के बधाई संदेश देश विदेश से आ रहे थे.(Ambedkar)

 

जयंती समारोह की आखिरी सभा परेल, मुंबई के कामगार मैदान में हुई. अध्यक्षता महान समाज सुधारक एम. बी. दोंदे ने की. विशाल जनसमुदाय को बाबासाहेब ने बहुत ही विनम्रता से अनुरोध किया कि “अब उनका जन्मदिन मनाना बंद किया जाए. क्योंकि जो समाज किसी मनुष्य को परमात्मा बनाकर जय घोष करता है, वह समाज पतन के मार्ग पर चलने लग जाता है. कोई भी व्यक्ति किसी काल्पनिक शक्ति से नहीं बल्कि अपने अच्छे बुरे प्रयासों व कर्मों से ही आगे बढ़ता है या गिरता है. यदि कोई व्यक्ति योग्य हो तो उसके प्रति आदर सम्मान प्रकट करने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन उसकी विचारधारा को जाने और माने बिना, उसे आचरण में उतारने की बजाय उसको परमात्मा बनाकर पूजना विनाश का मार्ग है. इसमें नेता के साथ उनके अनुयायियों का भी पतन होता है. इसलिए मेरा आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि मेरा जन्मदिन मनाने की परम्परा बंद कर दी जाएं.”(Ambedkar)

 

ऐसे थे हमारे मुक्तिदाता..व्यक्तिपूजा के विरोधी, सच्चे राष्ट्र प्रेमी व मानवता के मसीहा बोधिसत्व बाबासाहेब.

 

 

भवतु सब्बं मंगलं..सबका मंगल हो..सभी प्राणी सुखी हो

 

 

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