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दिवाली का पर्व ये | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ. सत्यवान सौरभ

परिचय- हिसार, हरियाणा.


 

 

शुभ दिवाली आ गई, झूम रहा संसार।

माँ लक्ष्मी का आगमन, सजे सभी घर द्वार।।

 

सुख शांति सबको मिले, मिले प्यार उपहार।

सच में सौरभ हो तभी, दिवाली त्यौहार।।

 

दिवाली का पर्व ये, हो सौरभ तब खास।

आ जाए जब झोंपड़ी, भी महलों को रास।।

 

जिनके स्वच्छ विचार है, रखे प्रेम व्यवहार।

उनके सौरभ रोज ही, दिवाली त्यौहार।।

 

दिवाली उनकी मने, होय सुखी परिवार।

दीप बेच रोशन करे, सौरभ जो घर द्वार।।

 

मैंने उनको भेंट की, दिवाली और ईद ।

जान देश के नाम जो, करके हुए शहीद ।।

 

फीके-फीके हो गए, त्योहारों के रंग ।

दीप दिवाली के बुझे, होली है बेरंग ।।

 

स्नेह भरे मोती नहीं, खाली मन की सीप ।

सूख गई हैं बातियाँ, जले नहीं अब दीप ।।

 

बाती रूठी दीप से, हो कैसे प्रकाश।

बैठा मन को बांधकर, अंधियारे का पाश।।

 

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