नारी तू कमजोर नहीं…
©ममता आंबेडकर, Mamta Ambedkar
परिचय- गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
बच्चों की तू भाग्य विधाता है
नारी तू हर रूप में देखी जाती ।
बेटी बनकर मां के आंचल को
खूब महकती है
अपने कदमों की आहट से फूलों
सी खुशबू बिखरती हैं
सहेलियों के साथ मिल जुलकर।
स्कूल भी पढ़ने जाती है।
धीरे धीरे बड़ी होकर मां के सब
कार्यों में हाथ बंटाती हैं
भाई बहनों का भी साथ निभाती हैं
संघर्ष से कभी नहीं घबराती हैं
पढ़ लिख कर एक दिन अफसर
भी बन कर ऊंचा नाम कमाती हैं
वो दफ्तर भी समय से जाती हैं
घर की जिम्मेदारी खुद उठाती हैं
शादी के बंधन में बंध कर
पति का भी मान बढ़ाती हैं
ससुराल में सास ससुर की सेवा
करके प्यारी बहू कहलाती हैं
दु:खों के पहाड़ से भी झरने सी
बह जाती हैं।
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