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जिंदगी में विराम चिन्ह…

©अशोक कुमार यादव

परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़.


 

जिंदगी कोई विराम चिन्ह नहीं है,

जिसे, जब चाहे लगाया जा सके।

जिंदगी लिखी हुई कहानी नहीं है,

जिसे, जब चाहे मिटायी जा सके।।

 

कठिन अभ्यास करो नव्य अध्येता,

प्रश्नों और उत्तरों का हो पुनरुक्ति।

दोहरे शीर्षक का ना हो अब काम,

जैसे उप विराम की हो कोई सूक्ति।।

 

भावों, सवालों का बोध नहीं तुम्हें,

लक्ष्य में लगा प्रश्नवाचक निशान।

लगातार कर रहे हो बड़ी गलतियाँ,

हंस पद का नहीं शिक्षार्थी संज्ञान।।

 

अवतरण, कोष्टक में कैद है विचार,

लाघव बन, ज्ञान का कर रहे लोप।

योजक और निर्देशक में उलझा मन,

टिप्पणी कर, विस्मय समाप्ति सोच।।

 

मानव थक-हार कर रुक जाता है,

उसी दिन लग जाता है पूर्ण विराम।

मन की इच्छाओं को दफन करके,

वो निश्चिंत होकर करता है आराम।।

 

Chhattisgarh's first Tihar Hareli...
अशोक कुमार यादव

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