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फैसला तुम्हें करना है | ऑनलाइन बुलेटिन

©देवप्रसाद पात्रे

परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

अनपढ़, मजदूर बन सड़कों, गलियों में धूल मिट्टी खाना है,, या

कलम का सिपाही बन सम्मानजनक जीवन पाना है,, फैसला तुम्हें करना है

 

कीड़े-मकोड़ों की जिंदगी और किसी के जूते से रगड़ मर जाना है,, या

संघर्षरत जीवन को सफल कर जाना है,,

फैसला तुम्हें करना है,,,,

 

फ्री का चावल के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाना है,, या

मेहनत कर, आत्मनिर्भर बन गर्व से सिर उठाना है,,

फैसला तुम्हें करना है

चैन की नींद, मखमली बिस्तर में सोना है,, या

सिर पकड़कर जिंदगी भर रोना है,,,

फैसला तुम्हें करना है,,,,

 

घांस-फूंस से ढंकी झोपड़ी, और खपरैल घरों में रहना है,, या

सर्वसुविधा युक्त पक्के मकान में रहना है,,

फैसला तुम्हें करना है

गुलामी जीवन और आडम्बरों में बहते रहना है,, या

थाम कलम एक नया जीवन गढ़ना है,,

फैसला तुम्हें करना है,,,,

 

तेरे हालात, रक्त बन पसीना बह रही है, फिर क्यों,? चैन सुकून आराम नहीं,,

दिन-रात कड़ी मेहनत इतनी

फिर क्यों,,? हाथ में रुपये का नाम नहीं,,

दम घुट रही है जिंदगी,,,

अब कैसी चाहिये जिंदगी,,??

फैसला तुम्हें करना है,,,,

 

बच्चों के अपने मासूम चेहरे और नन्हें हाथों को देखो,,

क्या भला हो सकता है,?? तार्किक नजरिये से सोचो,,

दुनियां की ठोकरें और अपमान चाहिए,, या

नीति-नियत, कलम और मानसम्मान चाहिए,,

फैसला तुम्हें करना है,,,,

 

कर बुलन्द हौसला ऐसा कुछ कर जाने का,,

गर्व से सीना चौड़ा कर इज्जत पाने का,,

तो उठो जागो अब देर नहीं,,

फिर तुमसे आगे कोई और नहीं,,

फिर तुमसे आगे कोई और नहीं,,

फैसला तुम्हें करना है,,,,


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