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मृग मरीचिका…

©श्याम कुंवर भारती

परिचय- बोकारो, झारखंड


 

लघु कथा

 

Vaishali was very beautiful to look at. She was a girl from a middle class family. She had passed her intermediate. Now she wanted to take admission in a good college for BA graduation. But she had neither good marks nor money for admission in a good college. Although she was a very ambitious girl. Worked less hard in less time, wanted to get everything.(mrg mareechika)

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन: वैशाली देखने में काफी सुंदर थी।वो एक मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की थी।उसने इंटर पास कर लिया था । अब वो बि ए स्नातक के लिए किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेना चाहती थी।लेकिन अच्छे कॉलेज में एडमिशन के लिए न तो इसके पास अच्छे मार्क्स थे और न पैसे ।वैसे वो बहुत ही महत्वाकांक्षी लड़की थी। कम समय में कम मेहनत किया सब कुछ पा लेना चाहती थी।

 

उसकी मां पार्वती हमेशा उसे समझाती थी बेटी सफलता के लिए कोई भी सॉर्ट कट रास्ता नही होता है। सफलता और कामयाबी हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और लगन लगानी पड़ती है।लेकिन उसे कोई फर्क नही पड़ता था।उसके शौक भी बड़े महंगे थे। सिंगार से लेकर महंगे मोबाईल कपड़े खाने पीने और रहन सहन सब महंगे थे।(mrg mareechika)

 

लेकिन पिता कि आमदनी इतनी अच्छी नहीं थी की की उसके सभी महंगे शौक पूरे किए जा सके।ऊपर से तीन भाई बहन और थे । पिता को उनकी भी जरुरते पूरी करनी पड़ती थी।उसने किसी तरह एक कॉलेज में एडमिशन ले लिया ।वो एक वकील बनना चाहती थी ।

 

लेकिन इंटर के बाद एल एल बी कॉलेज में एडमिशन न लेकर उसने बि ए में ले लिया।पैसे की कमी के कारण उसे ऐसा करना पड़ा।कोलेज में उसकी दोस्ती अमर नाम के एक लड़के से हो गई।अमर हमेशा ब्रांडेड कपड़े पहन कर और महंगी बाइक से कॉलेज आता था। देखने में बड़ा स्मार्ट और हैंडसम लडका था ।उसके कई दोस्त थे।वो उनपर काफी खर्चा करता था।खूब खिलाता पिलाता था । (mrg mareechika)

 

जरूरत पड़ने पर पैसे की भी मदद करता था।वैशाली ने अमर से खुद ही दोस्ती की थी।वो उसे महंगे रिस्टूरेंट में लेकर जाती थी।खूब खाते पीते रहती थी।कभी कभार उससे पैसे भी मांग लेती थी।अमर उसको चाहने लगा था ।इसलिए उसकी हर मांग पूरी कर देता था।उसने उसे काफी महंगे गिफ्ट भी दिए।

 

दुसरे साल में कोलेज में दिनेश नाम का एक लड़का मिला उसके पास चमचमाती कार थी ।वैशाली ने अमर से दोस्ती तोड़कर दिनेश से दोस्ती कर ली।अमर को उसकी इस हरकत पर बहुत दुख हुआ लेकिन कुछ कहा नहीं।दिनेश भी उसपर काफी खर्च करने लगा।अमर एक शरीफ और समझदार लड़का था।(mrg mareechika)

 

उसने वैशाली के साथ कभी कोई गलत हरकत नही किया था।उसने हमेसा उसे प्यार और सम्मान दिया था।लेकिन दिनेश एक बिगड़ा हुआ लडका था।उसमे सारी बुराइयां थी।वो शराबी जुआरी और नशेबाज भी था।लेकिन वैशाली को कोई फ़र्क नहीं पड़ता था।उसे तो उसके पैसे और गिफ्ट से मतलब था।

 

उसकी सहेलियों ने कहा वैशाली तुम बहुत ही गलत कर रही ही हो ।दिनेश बहुत ही गंदा लड़का है ।कई लड़कियों के साथ उसने काफी बुरा व्यवहार किया है।जबकि अमर एक शरीफ लडका था।लेकिन वैशाली ने कहा जबतक सुंदर रूप रंग और जवानी है इन बेवकूफ लडको को लूटने में क्या हर्ज है।(mrg mareechika)

 

तुम कभी किसी दिन बड़ी मुशीबत में पड़ोगी तब तुम्हारी जवानी किसी काम नही आयेगी देख लेना।वैसे भी सुंदर रूप और जवानी सदा नही रहती है याद रखना।उसकी एक सहेली ने उसे समझाते हुए कहा।एक दिन अमर ने अपने जन्म दिन की पार्टी में वैशाली को भी बुलाया।पार्टी में केक कटने के बाद ।शराब की भी पार्टी चलने लगी । उस पार्टी में अमर भी आया हुआ था।लेकिन उसने शराब नही पिया।

 

दिनेश ने होशियारी से वैशाली के कोल्ड ड्रिंक्स में शराब मिला कर दे दिया।फिर डीजे पर डांस शुरू हुआ । दिनेश वैशाली के साथ डांस करने लगा और उसके साथ अश्लील हरकतें करने लगा।वैशाली को उसकी हरकत बिल्कुल पसंद नहीं आई उसने विरोध किया।लेकिन दिनेश नशे के जोश में उसके साथ जोर जबरजस्ती करने लगा।उसके पकड़े फट गए वो चीखने चिल्लाने लगी।(mrg mareechika)

 

अमर ने देखा तो उसके होश उड़ गए ।उसने दिनेश की जमकर पिटाई कर दिया और वैशाली को पार्टी से निकाल कर अपने बाइक से उसके घर छोड़ दिया।वैशाली उससे माफी मांगने लगी ।उसे अपनी गलती का एहसास हो चूका था।

 

लेकिन अमर ने कहा माफी क्यों मांग रही हो ।जैसे मुझे छोड़ा अब दिनेश को छोड़ दोगी फिर किसी और से दोस्ती करोगी।तुम्हे प्यार नही पैसा चाहिए।लेकिन इतना जान लो यह दुनिया एक मरुस्थल की तरह है ।जिसे तुम पानी समझोगी वहा बालू ही मिलेगा।तुम मृग मरीचिका में भटक रही हो ।(mrg mareechika)

 

अब भी वक्त है संभल जाओ।

 

वैशाली रोने लगी उसने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा अब मैं समझ चुकी हूं अमर अब मैं मृगमरिचिका में नही भटकूंगी।तुम्हारी तरह हकीकत की दुनिया में रहूंगी।

 

मैंने एक मानवता के नाते तुम्हारी इज्जत बचाई है मेरा हाथ छोड़ो और मुझे जाने दो।लेकिन वैशाली ने उसका हाथ हमेशा के लिए थाम लिया था।अमर को उसकी आंखो में सच्चाई नजर आए और उसने अपनी बांहों में भर लिया ।उसकी आंखे भर आई थी ।(mrg mareechika)

 

Shyam Kunwar Bharti, Bokaro, Jharkhand
श्याम कुंवर भारती

 

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