वक्त के साथ बदला प्यार | ऑनलाइन बुलेटिन
©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”
परिचय- वर्धा, महाराष्ट्र
वक्त के साथ बदला प्यार
एक बार हंसकर कर दिया था बात है ।
उसी पर फिदा दुबारा कहा मुलाकात है।
हुस्न यार में तबा होकर जिन्दगी बर्बाद ।
ऐसी भी क्या मुलाकात हुई थी रात है ।।
चाहतदार सच्चे प्रेमी एक तर्फा प्यार ।
कैसे मिले किसी का तुम्हें भला साथ है।।
वो दिन गये आशीक माशुख मिट जाते थे।
आज तो दिखावा इन्सानियत पर मात है।।
मां बाप ने करादी शादी समझो किस्मत।
इसी में हमें मिल जाती हमारी जात है।।
ऑखों का भुलावा चाहत हवा का झोंका।
इन्हीं बातों में छिपे होता बड़ा घात है ।।
लो आज तो लव जिहाद की मुसीबत आयी।
क्यों जान जोखिम न डाले समझ सौगात है।।
‘शहज़ाद ‘प्यार एक तोहफ़ा मिला कुदरत से।
खतरा ना बना उसे वक्त की मुनाजात है।।
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