तुमने मारी जो पिचकारी | newsforum
©ललित मेघवाल, निम्बाहेड़ा, चित्तौड़गढ़, राजस्थान
तूने मारी पिचकारी
अरर मेरे बनवारी
लब्बो से मेरे बरसे
प्रेम रस गिरधारी
गुलाल में तू रंग ले
गुलाबी गोपी गाल
केसरिया हो चुनर
पर रंग इश्क का लाल
गोकूल की गलियों में
वसंत की कलियों में
झूमकर नाचे दुलारी
कान्हा के चित्त को प्यारी
अररर बनवारी जो
तुमने मारी पिचकारी …