वो आंखें भी क्या….
©प्रा.गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र
बुराई भी देखें आंखें,अच्छाई भी देखें ये आंखें,
कितना कुछ इस संसार में,उसी आंखों को देखना है।
प्यार,मोहब्बत की कहानी आंखों से ही जनम लेती है,
आंखों से ही पहले-पहले,निगाहों से निगाहें मिलती है।
आंखों में प्यार का समंदर,आंखों में ही आग का जलजला है,
हंसी में मोहब्बत,नहीं तो उन्हीं आंखों से ज़माना भी ख़ाक है।
प्यार भरी सुन्दर आंखों पर,ये सारा ज़माना फिदा है,
कौन समझे उन्हीं आंखों को,सबसे नायाब उन्हीं की अदा है।
जिन्हें होती नहीं आंखें,उन्हें इस सुन्दरता का मतलब ही क्या है,
आंखों के बिना तो ये उजाला और अंधेरा भी क्या है।
बंद आंखों में ख्वाब है,और खुली आंखों में मंजिल है,
ये आंखें तो हर जिंदगी के लिए नई आशाओं के फूल है।
वो आंखें भी क्या,जो कभी न देखें अच्छाई संसार में,
ऐसी आंखों से बढ़कर तो,अंधापन ही अच्छा है इस जीवन में।
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