भीड़ के साथ ही चलोगे तो….
©प्रा.गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र
भीड़ के साथ ही चलोगे तो अलगता नहीं पाओगे,
रास्ता ख़ुद ही बनाओ तो लोग तुम्हें ही देखेंगे।
औरों को देखकर तुम औरों जैसा ही मत बनो,
गर मिसाल बनना है तो सिर्फ तुम अपने मन की सुनो।
ख़ास वो होते है, जो ख़ुद की नई पहचान बनाते है,
जो भीड़ के साथ है, वो तो युंही जिंदगी बिताते है।
तुफानों से लड़ना, हर किसी के बस की बात नहीं है,
हिमालय को हिला देना, ये तुफानों के बस की बात नहीं है।
शेर की दहाड़ सारे जंगल को भयभीत करती है,
और अलगता की पहचान, जमाने के लिए प्रेरणा बन जाती है।
सबके जैसा बनने की तो, सब यहां पे कोशिश करते है,
जो रखते है चट्टानों सा हौसला, वही सिकंदर बन जाते है।
भीड़ के साथ ही चलोगे तो, अलगता नहीं पाओगे,
रास्ता ख़ुद ही बनाओ तो, आसमां का सूरज बन जाओगे।
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