.

राष्ट्रध्वज का अपमान है तिरंगे और अशोक चक्र वाला केक काटना ? पढ़े- मद्रास हाईकोर्ट ने दिया क्या फैसला | newsforum

चेन्नई | तिरंगे और अशोक चक्र की डिज़ाइन वाले केक काटना ना तो असंगत है और ना ही राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 के तहत राष्ट्रीय ध्वज का अपमान। वर्ष 2013 के एक मामले को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में दायर डी सेंथिलकुमार की एक याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार 22 मार्च को सुनवाई की। याचिका में आरोप लगाया गया था कि तिरंगे और अशोक चक्र की डिजाइन वाला केक काटना अपराध है। याचिकाकर्ता डी सेंथिलकुमार ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 की धारा 2 के तहत यह अपराध है। उन्होंने भारत के संविधान में 3 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान होने की बात कही थी।

 

सेंथिलकुमार ने वर्ष 2013 में क्रिसमस के मौके पर तिरंगे वाले 6×5 फीट के केक काटने और 2,500 से अधिक मेहमानों के बीच इसके वितरण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस कार्यक्रम में कोयम्बटूर के जिला कलेक्टर, पुलिस उपायुक्त और विभिन्न अन्य धार्मिक नेताओं और गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया था।

 

मजिस्ट्रेट एन आनंद वेंकटेश ने सोमवार को अपने फैसले में आपराधिक कार्यवाही को खत्म करते हुए कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत जैसे लोकतंत्र में राष्ट्रवाद बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन, उग्र और मतलब से ज्यादा पालन करना हमारे देश की समृद्धि को उसके अतीत के गौरव से दूर कर देता है… एक देशभक्त सिर्फ वही नहीं है जो केवल ध्वज, जो कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, उठाता है, इसे अपनी आस्तीन पर पहनता है। राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक देशभक्ति का पर्यायवाची नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे केक काटना कोई असंगत नहीं है।”

 

अदालत ने राष्ट्रवाद पर अपनी बात पर जोर देने के लिए टैगोर का भी हवाला दिया, कहा- “देशभक्ति हमारा अंतिम आध्यात्मिक आश्रय नहीं हो सकता; मेरी शरण मानवता है। मैं हीरे की कीमत के लिए ग्लास नहीं खरीदूंगा और मैं कभी भी मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा।”

 

अदालत ने कहा कि 2013 के इस समारोह में जो भी लोग शामिल हुए थे, उनमें से किसी ने भी किसी तरह से राष्ट्रवाद का अपमान करने की कोशिश नहीं की। कोर्ट ने कहा कि कई लोग तिरंगे को संभालने में असहज हो जाएंगे यदि ‘अपमान’ को एक व्यापक परिभाषा दी जाए।

 

आदेश में कहा गया, “राष्ट्रीय ध्वज समारोह के दौरान हमारे राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में दिया जाता है। एक बार प्रतिभागियों के मन में इस तरह की भावना पैदा हो जाती है, जिस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय ध्वज दिया गया था या उपयोग किया जाएगा…। फ्लैग कोड ध्वज की गरिमा के अनुरूप, निजी रूप से झंडे को नष्ट करने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है, और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में इसका पालन किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया से सभी वाकिफ नहीं होंगे।”


Back to top button