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आपदा ल अवसर बनाके | Newsforum

©प्रीतमप्यारे मार्शल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

 

आपदा ल अवसर बनाके,

कतको हॉस्पिटल ह लूटत हे।

जिंदा का शव घलोक के,

बिल पटात ले पसीना छूटत हे।।

 

सब्जीवाला, फलवाला अऊ,

किराना दुकान ल दे हे छूट।

का करबे ऊपर ले महंगा आये

हे कही के मचाये हे लूट।।

 

धूम धाम ले लोग लईका के,

बिहाव करेके सपना टूटत हे।

दुकानदार पेट्रोल डीजल के,

भाव बहाना बना के लूटत हे।।

 

आनलाईन पढ़ाई के नाम से,

कतको स्कूल ह बड़ लूटत हे।

धरे रहेन पईसा सकेल के ते,

ठेकली ह घर बईठे फूटत हे।।

 

कोरोना म बेरोजगारी अऊ हर

समान के भाव बढ़ते जाथे।

हे भगवान नौकरी अऊ कमाये

के जरिया जी घटते जाथे।।

 

किसानी के दिन आगे, महंगा

होगे खाद बीज अऊ दवाई।

लाकडाउन म करलई होगे हे,

ढप परगे हे संगी कमाई।।

 

कोनो चिंता नईये जी मिलत हे,

जेमन ल बेतन अऊ पेंसन।

कइसे घर चलय गरीब अऊ

मजदुर ल भारी छाये हे टेंसन।।


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