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एक दहशत | Newsforum

©वंदिता शर्मा, शिक्षिका, मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

 

आजकल एक दहशत है इस मोबाइल से,

 

 

एक समय था प्रातः उठते ही

लोगों के सुप्रभात का

शुभ समाचार का; पर !

अब दहशत है इस मोबाइल से।

 

जिंदगी का क्या भरोसा,

बस वक्त का तकाजा है

मोबाइल से जो नाता था,

अब नहीं भाता ।।

पहले का जीवन अच्छा था।

ख़त का इंतजार था।

दु:ख सहने का संसार था।

अब दहशत हो गया है मोबाइल से।।

 

हर इंसान को सबक मिल गया कि

नाता तो परिवार है समाज है

माता पिता का आशीर्वाद है,

भाई बहनों का प्यार है

दोस्तों का साथ है,

तो क्या वास्ता है मोबाइल से

अब दहशत हो गया है

मोबाइल से।।

 

दिन हो या रात

त्यौहार हो या जन्मदिन

फोन के मैसेज व घंटी से

दहशत हो गया है इस मोबाइल से,

ना जाने क्या खबर आ जाए

मातम का, खुशियां ही बिखर न जाए त्योहार व जन्मदिन का।

अब दहशत हो गया है मोबाइल से।।

 


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