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यार सुनो तुम साथ रहो…

©राहुल सरोज

परिचय- जौनपुर, उत्तर प्रदेश


 

मैं एक कहूं तुम चार कहो,

मैं दिन कहूं तुम रात कहो,

मैं आज लड़ूं तुम रोज लड़ो,

पर यार सुनो, तुम साथ रहो,

ये दुनियां,

ये दुनियां बड़ी जालिम है।

मुझे डर लगता, तुम्हें खो ना दूं,

तुम साथ ना हो तो रो ना दूं,

बस इतना सा अरमान मेरा,

तुम हसती रहो, मैं हसता रहूं,

जो हमने आंखों में ख्वाब लिए,

उसको साधक बन साधता रहूं,

पर यार सुनो, तुम साथ रहो,

ये गलियां,

ये गलियां बड़ी मुस्किल हैं,

मुझे डर लगता तुम्हें खो ना दूं,

तुम पास ना हो तो रो ना दूं,

बस इतना सा अरमान मेरा,

तुम कहती रहो मैं सुनता रहूं,

संग ख़्वाब हजारों बुनता रहूं,

जीवन के हर एक मंजर को,

देखूं संग में संग सुनता रहूं,

पर यार सुनो, तुम साथ रहो,

ये रातें,

ये रातें बड़ी बोझिल है,

मुझे डर लगता तुम्हें खो न दूं,

तुम पास ना हो तो रो ना दूं,

बस इतना सा अरमान मेरा,

तुम सोती रहो मैं जगता रहूं,

लेकर करवट मैं तेरी तरफ,

तेरे सिरहाने तकता रहूं,

बाल सवारूं चेहरे के,

माथे पर हाथ फेरता रहूं,

पर यार सुनो तुम साथ रहो।

 

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