हिंदू नवा साल आगे | newsforum
©द्रौपदी साहू (शिक्षिका), कोरबा, छत्तीसगढ़
हिंदू नवा साल आगे, जम्मो के तिहार।
संगे म नवरात आगे, जोत जले घर-दुआर।।
पूजा-पाठ अऊ धरम-करम के, चइत म होथे काम।
बादर-पानी सब छंटियागे, चारों मूड़ा हे घाम।।
रुख राई के पाना झरगे, उल्हवाये हे डार।
संगे म नवरात आगे, जोत जले घर-दुआर।।
चइत के पावन महिना आगे, आगे अंजोरी पाख।
करम जनहित के करत संगी, चरित ल सुघ्घर राख।।
रुख राई झन काटिहव संगी, फरे हे तेंदू-चार।
संगे म नवरात आगे, जोत जले घर-दुआर।।
नवदिन के नवरात म, झूमरे मन मतवार।
बूड़त हमर नइय्या के, मइय्या हे पतवार।।
मांदर बाजे जम्मो कोति, देबी म चढ़गे मंदार।
संगे म नवरात आगे, जोत जले घर-दुआर।।
हिंदू नवा साल आगे, जम्मो के तिहार।
संगे म नवरात आगे, जोत जले घर-दुआर।।