मेहरबानियां | ऑनलाइन बुलेटिन
©संजय वासनिक, वासु
परिचय– चेंबुर, मुंबई.
मौसम नहीं,
अपनी मुद्दत पूरी करे
और रुख्सत हो जाये….!
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वो सावन भी नहीं
की टूट के बरसे
और थम जाये……!!
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सादे अंगारे भी नहीं
की सुलगे भड़के
और राख हो जाये……!!!
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अफताब भी नहीं हैं
पल भर के लिये चमके
और फिर गुम हो जाये…….!!!!
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किसी गुलशन के
फूल भी नहीं जो खिले
और मुरझा जाये……..!!!!!
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डॉ. बाबासाहाब की
मेहरबानियां …
तो हमारी सांस है
जो चले तो सब कुछ है
जो टूट जाए तो कुछ भी नहीं…