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तेरी ज्यादतियां…

©श्याम कुंवर भारती

परिचय- बोकारो, झारखंड


 

 

मुझसे तुम चुराओ न नजर इतना गम निकल जाए।

मुझे तुम सताओ न अब इतना मेरा दम निकल जाएं ।

 

मालूम है मुझको तुम हो हुस्न की परी गुलाब की कली।

मासूम है बड़ा दिल इतराओ ना मेरा खम फिसल जाए ।

 

बड़ी चंचल ओ नादां हो इक पल ठहर जाओ पास मेरे।

बहारो की महफिल में कही ना मेरा सनम बदल जाए।

 

हसीन ओ जवां हो चहको जितना मगर मेरे दिल में रहो।

रखना जरा संभल के पांव तेरे मेरी जां ना कुचल जाए।

 

तेरी एक मुस्कान पे  यार मैं अपनी जान  कुर्बान कर दूं।

इठला के आओ बांहों में तेरा सब वहम निकल जाए।

 

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