कैसा यह इश्क है | ऑनलाइन बुलेटिन
©दीपाली मिरेकर
परिचय– विजयपुरा, कर्नाटक
देखा है आज पहली बार,
इश्क के परिंदों को,
लड़ते झगड़ते प्यार की दुनिया में मग्न,
ना किसी की इनको खबर।
क्या यही इश्क है,
अनजाना सा, भोला सा,
कैसी यह प्रीत है,
रिश्तों नातों की जंजीरों से,
मुक्त देखो ये पंछी,
एक दूजे में समायी है दुनिया।
कैसा अजीब यह इश्क है,
समझ न पाई मैं जिस भाव को
क्या वो यही इश्क है,
दो प्रेमियों की आत्मा एक दूसरे में मग्न है,
कैसा यह भाव डोर है,
दुनिया की जंजीरों से मुक्त
दो प्रेमियों की अजीब यह कहानी है।
महसूस श्क है ….