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दौर नया बदला सा…

©गायकवाड विलास

परिचय- लातूर, महाराष्ट्र


 

नया युग नई दिशा,

हर द्वार नई आशा,

मौन बने रिश्ते सभी

बदले संसार में ।

 

दौड़ रहे सभी लोग,

स्वार्थ भरें रंग ढंग ,

खून भी हुआ पराया,

धन के लालच में ।

 

नाम के सभी इन्सान,

भूलें रिश्तों का बंधन,

बेच चलें है ज़मीर ,

आज के जमाने में ।

 

दौर नया बदला सा,

हर कोई यहां प्यासा,

सभी बनें है भिखारी

उन्नति के जहां में।

 

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