जरूरी है निभाना रस्म तो | ऑनलाइन बुलेटिन
©गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान
जीना है यदि, यहाँ समाज में।
पाना है इज्ज़त, यदि समाज में।।
चाहे मुफ़लिस हो, चाहे अमीर हो।
चाहे नवाब हो, चाहे फकीर हो।।
जरूरी है निभाना, रस्म तो।
हर हाल में, समाज में।।
जीना है यदि——————–।।
करना जरूरी है, कन्यादान भी।
लाजिमी है ले जाना,भात भी।।
चाहे हो मृत्युभोज, या सूर्यपूजा।
निभाना है जरूरी रस्म तो,हर हाल में समाज में।।
जीना है यदि———————।।।
चाहे लेना पड़े, कर्ज मुफ़लिस को।
चाहे बनना पड़े, गुलाम मजदूर को।।
चाहे कैसी भी हो, उसकी मजबूरी।
निभाना है जरूरी रस्म तो, हर हाल में समाज में।।
जीना है यदि——————–।।
जिसने खिलाफत की, यहाँ रस्मों की।
हुई बौछार उस पर, यहाँ जुल्मों की।।
बचना है अगर यहाँ, बदनामी से।
निभाना है जरूरी रस्म तो, हर हाल में समाज में।।
जीना है यदि——————–।।