शादी से पहले | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”
लोग भुलाते किसी के काम और नाम को।
आज सुबह याद किया भूला गये शाम को ।।
सात जन्मों का साथ करे कैसे भरोसा ।
इस जन्म में तरसे रोज पिने लगे जाम को ।।
लो दर्द भर गया पूरे बदन में कहां कहां ।
पूरे ही बदन में मल रहें आज कल बाम को ।।
कितना कमाया ता उम्र बैठ कर, खा सके ।
उधार मांगते नहीं किसी से ये छदाम को ।।
किसी की गलतिया निकालना ये आदत ।
जाहिर करे किसी बदनामी के इनाम को।।
बदन पर फटे कपडे औक़ात आगे नहीं ।
आज तो डरते किसी के पाने सलाम को ।।
संमदर की गहराई नापने वाले वो महान ।
वो नहीं जाने संमदंरी तुफानी अंजाम को ।।
‘शहज़ाद ‘जो अपने काम से बनता बड़ा है ।
शादी से पहले गिनाते उसके दाम को ।।