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जीवन की किताब | ऑनलाइन बुलेटिन

©पूनम सुलाने-सिंगल

परिचय- श्रीनगर से….


 

 

कोरे कागज की तरह

करो हर दिन की शुरुआत

खुलकर लिखो जिस पर

तुम अपने दिल के जज़्बात

 

तुम मत सोचो कल क्या हुआ

सोचो आज क्या करना है

बीते हुए लम्हों में ना उलझो

सोचो आज को कैसे जीना है

 

जीवन के हर एक दिन को

जीना तुम अपने अंदाज से

खूबसूरत कल के लिए मेहनत

की शुरुआत करना तुम आज से

 

जोड़कर अनुभवो के पन्नों को

जीवन की खूबसूरत किताब बनती है

किसी के लिए प्रेरणा स्वरूप तो

किसी को यह अपनी कहानी लगती है

 

जैसे होते हो तुम वैसा ही

कवर इस किताब पर चढ़ता है

रखना याद हमेशा तुम्हारी अपनी किताब में

सबसे महत्वपूर्ण किरदार केवल तुम्हारा ही होता है

 

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