इश्क का मंजर….
©श्याम कुंवर भारती
परिचय- बोकारो, झारखंड
तेरी आंखों में मेरे इश्क का समंदर देखा था।
बेताब होके तड़पते इश्क का मंजर देखा था।
दिल में प्यार बाहर बेफिक्री का दिखावा तेरा।
मेरी तलाश में तुझे इश्क का जंगल देखा था।
जब दोनो राजी फिर किसी की क्या जरूरत है।
राहे इश्क में दुश्मनों के हाथो में खंजर देखा था।
पहले इकरार फिर इंकार आखिर चाहते क्या हो।
तेरे दरिया दिल उठते इश्क का बवंडर देखा था।
किया गर करार प्यार का तो उसे निभाओ जरा।
मेरी नजर तेरी सूरत को दिल के अंदर देखा था।
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