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संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देने मनाया जाता है संविधान दिवस | Onlinebulletin.in

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका), कोरबा, छत्तीसगढ़

परिचय– जिला उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय हिंदी महासभा.


Onlinebulletin.in | Onlinebulletin | भारत सरकार द्वारा पहली बार 26 नवंबर 2015 को संविधान दिवस मनाया गया। इस दिन से प्रत्येक वर्ष संपूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जाता है। इस दिन संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ हरीसिंह गौर का जन्म दिवस भी है। भारत गणराज्य का संविधान 26 नवंबर सन 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर थे। 26 नवंबर 1949 के पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।

 

संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवंबर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया। गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया। इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया गया और प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। भारत के संविधान का मूल आधार भारत सरकार अधिनियम 1935 को माना जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतान्त्रिक देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। डॉक्टर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के प्रधान वास्तुकार या निर्माता कहे जाते हैं।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रभावित तथा विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है-

 

“हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”

 

केएम मुंशी ने प्रस्तावना को ‘राजनीतिक कुण्डली’ नाम दिया है। 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद, पंथनिरपेक्ष व अखण्डता शब्द जोड़े गए। संशोधन मुख्यत: स्वर्णसिंह आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए थे।

 

कुछ महत्त्वपूर्ण संशोधन समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्र की अखंडता के उच्चादर्शों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने, नीति निर्देशक सिद्धांतों को अधिक व्यापक बनाने और उन्हें उन मूल अधिकारों, जिनकी आड़ लेकर सामाजिक – आर्थिक सुधारों को निष्फल बनाया जाता रहा है, पर वरीयता देने के उद्देश्य से किए गए।

 

भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसके कई हिस्से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिए गए हैं। इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों, सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है। विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का क्या काम है, उनकी देश को चलाने में क्या भूमिका है, इन सभी बातों का जिक्र संविधान में है।

 

भारत में रहने वाले अधिकांश नागरिक संविधान की प्रस्तावना एवं उद्देश्य से परिचित नहीं हैं, क्योंकि वे सिर्फ अपने आज में जीते हैं और उनकी इच्छाएं, उनके शौक पूरे हो जाएं तो उन्हें बाकी किसी चीज से कोई मतलब नहीं होता।

 

संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह संविधान दिवस मनाया जाता है।

 


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