पिता और पुत्र | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©चंदन कुमार देव
एक पिता के कंधे पर जब पुत्र
खेलता है तो, कंधा नहीं एक सिंहासन ही मानो ।
और और बच्चे को कंधे पर बैठा,
किसी शहंशाह से कम ना जानो ।
बेटे की गलतियों पर भी,
एक पिता दूध में शक्कर की तरह मिल जाता है ।
पापा की हैसियत जो भी हो,
बड़े रोब से पापा से कह दूंगा यह धमकी दे आता है
पिता के लिए बेटे की हर,
चीज खास होती है ।
लाखों रुपए की सैलरी वाले पिता बच्चे की
छोटी सी प्राइस से करोड़ों की एहसास होती है।
भूकंप आ जाए या अजाए सुनामी,
टाइम पर जो कभी नहीं था जागा।
बेटे को टाइम पर स्कूल पहुंचाने के लिए,
ओह भी टाइम पर स्कूल भागा।
दुकान में जाकर सबसे अच्छा जो है,
मेरे बेटे के लिए ओह दिखाओ
ओह पिता ही है अपनी जेब की चिंता न करते हुए,
बेटे को बोले अब तो मुस्कुराओ…