.

है कितनी दर्दभरी | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©गायकवाड विलास

परिचय– मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र


 

नवयुग की ये आहट है न्यारी,

बदल गयी है देखो दुनिया सारी।

ढल गई है वो मिट्टी की दीवारें ,

जो कण-कण में थी प्रेम और स्नेह भरी।

 

नवयुग की ये आहट ना जाने ,

इस हरे-भरे संसार को कहां ले जायेगी।

बदली बदली सी ये बहती हवाएं ,

कल कौन सा मंजर हमें दिखायेगी।

 

नवयुग की ये क्रांति और समृद्धि कैसी,

जिस पर चढ़ा है ये कैसा गर्व और अहंकार।

जल गई मानवता फैली है अराजकता और,

दिशा दिशाओं में गुंज रहा है ये कैसा शोर ।

 

नवयुग की ये आहट है अंजानी,

जहां सस्ता हुआ ख़ून और महंगा है पानी‌।

ऐसे बदले हुए युग में अजनबी बने है चेहरे,

और रास्तें रास्तें पर यहां देखो भीड़ है कितनी।

 

नवयुग की ये आहट है न्यारी ,

सभी को लगी है यहां लालच और मोह की बिमारी।

ढल गई है वो प्यारी मिट्टी की दीवारें,

नवयुग की ये आहट देखो है कितनी दर्दभरी – – – है कितनी दर्दभरी।

 

ये खबर भी पढ़ें:

IDBI Recruitment 2023: इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया में 114 पदों पर होगी भर्तियां, 21 फरवरी से शुरू होंगे आवेदन | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन


Back to top button