जुबान | ऑनलाइन बुलेटिन
©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”
परिचय- वर्धा, महाराष्ट्र
जुबान इन्सानी खयाल इजहार है।
हम भारतीय सभी जुबान से प्यार है।।
हजारों जुबाने बोली लिखी पढ़ते ।
मुको की तो इशारों पे सरकार है ।।
दिल की बात समझो समझादो बस ये ।
इस बात से भला किसको इनकार है।।
अदाकार फनकार उनकी बात गज़ब ।
गीत संगीत कलाम सज़ा दरबार है ।।
ना किसी से दोस्ती न किसी से बैर ।
इन्सान बस प्यार का ही हकदार है ।।
चाकू के नोक पर लूट लेते सब-कुछ।
डर के आगे जुबान बंद लाचार है।।
आगे देख खतरा पहले जुबान बंद।
न कुछ कहे होता वहां से पसार है।।
‘शहज़ाद ‘ जुबान का झगड़ा रखों पास ।।
परिन्दों की बोली मिठा अचार है ।।
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