परिन्दा | Newsforum
©प्रीति विश्वकर्मा, ‘वर्तिका’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
परिचय- अवध विश्वविद्यालय से 2017 में बीएससी किया, कोचिंग क्लास का संचालन.
हारी हुयी बाजी भी जीत जाता है परिन्दा |
जूनून की उड़ान से टूट जाता है हर फन्दा ||
हारने से डरोगे तो क्या समन्दर पार करोगे |
रखोगे हौसला तो तूफ़ानों पर वार करोगे ||
नदियाँ क्या समुन्दर भी तैरकर पार करोगे |
देर नहीं जब तुम गले जीत का हार पहनोगे ||
मजबूर तो होता है, यहाँ हर एक बन्दा है |
हर एक के गले पड़ा जिम्मेवारियों का फन्दा है ||
तो क्या बिना लड़ॆ ही, तुम ऐसे हार जाओगे |
सोचों अपने आप को आप क्या मुँह दिखाओगे ||
परॆशानियों में खुद को यूँ जकड़कर क्या करोगे?
सोचों ऐसॆ खुद को रोक फ़तेह हासिल कर पाओगे ||
जीतने योग्य बाजी भी यूँ ही तुम हार जाओगे |
सोचों माँ – पापा के सपनों से मुंह मोड़ जाओगॆ ||
फ़िक्र ना करो कि इसका अंजाम क्या होगा ?
उठो, जाओ फ़िर देखों नया अध्याय क्या होगा ??