जिंदगी | Newsforum
©शशि प्रभा, बरेली, उत्तर प्रदेश.
सृजन हूं हौसला हूं उड़ान हूं हंसी ख्याब हूं मैं,
सिखातीं हूं हुनर जीने का एक आफताब हूं मैं,
बहुत तपिश है जिंदगी के कदम कदम सफर में,
सुकून लिए पहलू में बैठी खूबसूरत महताब हूं मैं
माना तमाम कशमकश शामिल जीवन में पर,
कितने सुंदर रंग समेटे जिंदगी की किताब हूं मैं,
फुर्सत ही नहीं तुम्हें, वक्त मिले तो समझना मुझे,
कर्मों से सजा हुआ एक खूबसूरत सवाब हूं मैं,
पल पल का हिसाब जोड़ कर रखा है सभी का,
वक्त पर फैसला होगा सबका बहुत बेहिसाब हूं मैं,
मेरे अदब को कमजोरी न समझना आप लोग
संस्कारी झुकती नजर का सलीकेदार आदाब हूं मैं,
यूं ही नहीं बनते घर बिन रिश्ते या बिन प्यार के,
सलीके से सजाती हुई तेरे ईंटो का असबाब हूं मैं,
जुनून है गर कुछ कर दिखाने का तो करो जरूर,
क्योंकि जैसे करोगे वैसा ही पाओगे राहे इंतखाब हूं मैं,
जीवन की एक आशा, एक रौशनी रंगे हिना सी हूं,
साथ रहना हमेशा यू ही तेरी जिंदगी का शबाब हूं मैं।