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मां | Newsforum

©नीरज सिंह कर्दम, बुलन्दशहर, उत्तर प्रदेश        

परिचय- शिक्षा – 12th,  रुचि – कविता लिखना, अवार्ड- डॉ भीमराव आंबेडकर नेशनल फेलोशिप राष्ट्रीय अवार्ड 2019, डॉ. भीमराव आंबेडकर नेशनल फेलोशिप राष्ट्रीय अवार्ड 2020-21 के लिए चयनित.


 

 

मां,

जरा सी ठोकर क्या लगी

मुंह से एक ही शब्द निकला

मां…

 

मां,

हमें रोता देखकर

अपना सुख दुख भूल गई मां

और सीने से अपने लगा लिया,

 

मां,

वो शक्ति है जो

हमारे लिए पूरी दुनिया से

लड़ जाती है,

 

मां,

कहने में तो एक

छोटा शब्द है,

पर इसमें पूरी

दुनिया बसती है,

 

मां,

जब तक ना देख लेती है

हमको

तब तक उदास रहती है,

देखकर मां हमको

दुख में भी हंस लेती है,

 

मां,

खुद भूखी सो जाती है

हमको भूखा नहीं सोने देती मां,

फटे मैले कपड़े पहन

कभी अफसोस नहीं करती है,

हमारे के बदन पर अच्छे कपड़े,

अच्छा खाना मिले,

जूठे बर्तन, झाड़ू पोंछा करके

घर में खुशियां लाती है,

 

मां,

कुछ नहीं बेटा

आंख में कचरा

गिर गया कहकर

छिपा लेती है

अपने आंसुओं को

हमारी खातिर,

 

मां,

वो जिसे भय नहीं किसी का,

हमें एक छींक आई तो

कांप जाती है,

रात भर अपने सीने से

लगाए रखती है,

 

मां,

झुकी नहीं किसी के आगे

हमारी खुशी के लिए

झुक जाती है,

 

मां,

देखा नहीं कभी दु:ख अपना

हमारी खुशी में

हंस लेती है, झूम लेती है,

 

मां,

अपना कल भूलकर

वर्तमान और भविष्य

की चिंता से दूर,

हमारे भविष्य

के निर्माण में लग जाती है,

 

मां,

हमारी कामयाबी पर

खुशी के आंसू बहाती

सर चूमकर, सीने से लगाकर

बार बार हमको निहारती

दुनिया की सारी खुशियां

हमें देकर, जश्न बनाती है,

 

दुनिया की

सबसे महान हस्ती…

मां होती है ।

****

 

(2)

मां

__

 

नौ महीना सोया था मैं

अपनी मां के गर्भ में,

सुख दु:ख से एकदम दूर

कितना कष्ट सहा होगा

मेरी मां ने,

मुझे इस दुनिया में लाने में,

 

आया जब इस दुनिया में

किलकारियां भरी मैंने

अपनी मां के आंचल में,

 

हमेशा मुस्कुराती

सीने से लगाकर

लोरिया सुनाती जब

मेरी मां,

 

जब रोता था भूख से

तब अपने आंचल में ढंककर

मेरी भूख शान्त करती थी

मेरी मां,

 

उंगली पकड़कर

चलना सिखाया,

डगमगाते कदमों को

सम्भलना सिखाया,

 

हो गया हूं

कितना भी बड़ा आज मैं

पर मां के लिए आज भी

वही बच्चा हूं,

 

गुस्से से ज्यादा

प्यार करती है मां,

अपने हाथों से खाना खिलाकर

दुलार करती है मां,

मां की ममता में

दुनिया बसती है …

 


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