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एक शुरुआत करते हैं | ऑनलाइन बुलेटिन

©हिमांशु पाठक, पहाड़

परिचय- नैनीताल, उत्तराखंड.


 

चलो ! एक काम करते हैं,

रूठों हुओं से बात करते हैं ।

मुद्दतों से, जिनसे रूठें है; हम,

आज उनसे बात करते हैं।

चलो ! एक काम करतें हैं,

उनसे मुलाकात करते हैं ।।

 

अपने अहम् का त्याग करते हैं।

चलो ! साथ मनाते हैं दीपावली,

उनके घर जाकर, दीपक जलाते हैं।

और हंसी की फुलझड़ी और,

ठहाकों के पटाखे, उनके साथ फोड़ते हैं।

चलो ! उनसे बात करते हैं ।

कब तक रूठेगें वो भी हमसे?

आखिर वो भी तो हमसे ,

प्यार करते हैं ।

कब तक दूर रह पाएंगे हमसे,

उनकी नाराजगी को दूर करते हैं ।

चलो ! उनसे आज बात करते हैं ।।

 

कुछ अंधेरों की परतें,

जो जम चुकी है हमारे दिलों में,

मुद्दतों से, मौका भी है,

और दस्तूर भी, आज शुरूआत करते हैं,

चलो ! उन्हें साफ करते हैं ।।

चलो ! एक काम करते हैं ।

आज उनसे बात करते हैं ।।

 

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,

उनके चेहरे में मुस्कान बिखेरते हैं।

चहकते हुए पहुँच जाते हैं,

अचानक उनके घर, उनसे मिलने

और फिर दीपावली की शुभकामनाएं,

ये कहकर उन अंधेरों को दूर करते हैं।

चलो! फिर से मुलाकात करते हैं,

उनसे, अपने दिल की बात करते हैं ।

 

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