.

ऑनलाइन रूहानी प्रेम | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ कामिनी वर्मा

परिचय- भदोही, उत्तर प्रदेश


 

1985 ई में एक वैज्ञानिक क्रांति आई,

अपने साथ दूरभाषी यंत्र, मोबाइल फोन साथ लाई।

अब गाँव गाँव, हर घर, हर शहर।

लिए फिरता है हर कोई,

एक या दो सचल दूरभाषी, दूरदर्शी यंत्र।

नए नए ऐप आए, नए नए रिश्ते बने।

दूरियां दूर हुई, रिश्तेदारियां मजबूत हुई।

पनप उठा प्रेम ऑनलाइन।

खिली कलियां हृदय, की बोल पड़ा मन।

उम्र पचपन तो क्या, दिल तो बचपन का है।

शुरू हुआ सिलसिला प्रेम का।

एक उम्मीद का, एक विश्वास का।

सागर सी गहराई, हिमालय की ऊंचाई समाए हुए।

है यह बंधन रूह का,

जो सिर्फ सुनना चाहता है, कहना चाहता है।

कोई चाहत नहीं, कुछ अपेक्षा नहीं।

ये वो दौलत है, जिसकी कोई कीमत नहीं।

मन तो चाहता है, सुनना उसकी आवाज।

फुर्सत के दो चार पल।

कुछ कह सके, कुछ सुन सके।

“मैं हूं न ” ये अहसास ही दे जाता है,

असीम उत्साह, अथाह विश्वास।

 

ये भी पढ़ें :

जिन्दगी | ऑनलाइन बुलेटिन

 


Back to top button