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पेड़-पौधे धरोहर | Newsforum

©अविनाश पाटले, मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

पेंड़-पौधे धरोहर है,

इन्ही से है प्रकृति विस्तार,

इन्ही से मिलता है

हमे प्राणवायु,

यही है जीवन का आधार।

काट रहे एक एक कर

पेंड़-पौधों को

क्यों नहीं समझते

तुम इंसान

आज देख रहे हो

पुर देश-दुनिया को

हो रहा है हाहाकार

और चीत्कार

अगर चलता रहे

यही निरन्तर तो

बन जायेगा पूरे देश

एक दिन शमशान

प्रकृति ने सुधरने को

सबक दे रहे है

अब तो सुधर जाओ तुम इंसान

इनके अभाव में

हो रहा है कमी ऑक्सीजन

अब समझ में आया होगा

आप लोगों को

इनके रीजन

बोल रही हूं

मैं ऑक्सीजन।।

 

सांसे हो रही है कम

आओ पेड़ लगाएं हम …

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