गुंजाईश | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”
सीना चीरकर दिखा दूंगा तस्वीरे यार की।
वर्ना बातें ना करना हम से बेकार की ।।
उल्फत में जान देकर दिखा देंगे जरूर ।
ये हकिकत है गुंजाईश ही नहीं इन्कार की ।।
चाहने वाले किस हदतक जाते पता नहीं ।
इस बात पे नजर ही नहीं पड़ी सरकार की ।।
रोज हादसे हो जाते चाहने वाले के।
जिन्दगी मे जरूरत नही होती तकरार की।।
दो चाहने वालों के बीच में नहीं आये।
मरने के बाद तो जरूरत नहीं पुकार की ।।
हुस्न वाले बहुत देखे लेकिन कुछ ऐसे ।
उनसे बातें ना करना कभी ललकार की ।
चाहने वाले लालच या दिखावा ना कर ।
जिद चढती आशिक को करने उपकार की।।
‘शहज़ाद ‘इश्क मोहब्बत खुलकर कब होगी।
जब दो दिलों को मिल जाये इजाजत प्यार की।