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अठखेली | ऑनलाइन बुलेटिन

©आर एस आघात, अलीगढ़, यूपी


 

कल – कल बहता पानी
शांत माहौल में
मधुर ध्वनि से संगीतमय
मौसम बनाता है ।
वहीं पास में ऊंचे पहाड़ से
गिरता हुआ जल
झरने जैसा रूप लेकर
उस मौसम को रंगीन बनाता है ।

 

गिरते हुए झरने के पास
हवा में पेड़ लहलहाते हुए
पेड़ों को टहनियों पर
मधुर स्वर में पंछी चहचहाते हुए
अजीब सी खनक है
चिड़ियों के चहचहाने में
पत्तियों पर मोती सी बूंद देखकर
हीरा भी तो शर्माता है ।

 

बहते हुए पानी ने
बनाई है राह एक अलबेली
छोटे – छोटे मेंढक मछली
करते हैं आपस में अठखेली
रुख देख बहते पानी का
इंसान भी कहां कर पाता है
इंतजाम डर से बचने के लिए
ख़ुद का जहां -मुक्कमल बनाता है ।

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