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यह स्वास्थ्य ही धन है | ऑनलानइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा, आज़ाद

परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान.


 

 

स्वस्थ रहो और मस्त रहो, यह स्वास्थ्य ही धन है।

पहला सुख निरोगी काया, तो सुखी यह जीवन है।।

स्वस्थ रहो और मस्त रहो——————।।

 

 

कैसे कमाओगे तुम धन, बिन स्वस्थ हुए जीवन में।

कर देती है जोश को कम, बीमारी तन-मन में।।

होती नहीं है ताकत तन में, एक रोगी शरीर में।

छाई रहती है निराशा- उदासी, रोगी जीवन में।।

स्वस्थ रहो और मस्त रहो—————–।।

 

 

बहुत कमाओ धन – दौलत, लेकिन यह भी ध्यान हो।

बहुत बचाओ रुपये तुम, लेकिन यह भी ख्याल हो।।

हो नहीं जाये यह शरीर, बीमार और नष्ट कमाई में।

स्वास्थ्य पर भी खर्च हो धन, नहीं इसमें बेख्याल हो।।

स्वस्थ रहो और मस्त रहो—————-।।

 

 

नशा करो तुम नेकी का, लेकिन नशा नहीं इनका हो।

बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब आदि नशे से तुम दूर हो।।

इनका सेवन नहीं करने की, ज्योति देश में जलाओ।

रहेगा स्वस्थ-आबाद वतन लेकिन, देश नशे से मुक्त हो।।

स्वस्थ रहो और मस्त रहो—————–।।

 


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