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योग | ऑनलाइन बुलेटिन

©सरस्वती राजेश साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

चौपाई

 

योग करत नित दिवस बिताओ।

योगी बन सब योग सिखाओ।।

निज जीवन का यह अनुशासन।

योग करो नित लेकर आसन।।

 

रोग रहित हो जीवन सबका।

कलह हरे योगी के मन का।।

तन में रोग निकट नहि आवे।

काया ऊर्जावान बनावे।।

 

नित योगी बन कर सब जीना।

फिर तन-मन सब होत प्रवीना।।

बल संचार हृदय में करते।

प्रसन्नता, चंचलता रहते।।

 

बुद्धि बलवती, पुष्ट शरीरा।

तन से योगी हरे अधीरा।।

योग क्रिया नित देती आशा।

नाश करे सब रोग, निराशा।।

 

बढ़ती है मानव की क्षमता।

हो जाती है दूर विषमता।।

चित्त रहे सुंदर, सुविचारा।

योग सतत जीवन आधारा।।


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