जिंदगी अनमोल है…
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 10 सितंबर पर विशेष
©डॉ. खन्नाप्रसाद अमीन
■ जिंदगी हैं खास ■
जिंदगी हैं खासम खास
इसे मत कहो
तुम क्षणभंगुर
मनुष्य जीवन है
प्रकृति का अनमोल उपहार
जीवन में नदी की तरह
आधी- तूफान आता रहता है
फिर भी नदी
कभी हारी हैं,रोई हैं
संघर्ष करके समुद्र को मिली हैं
मंजिल तक पहुँचने के लिए
निराश हुई किन्तु कभी
आत्महत्या नहीं की।
हे मनुष्य तुम्हारे अंदर भी
पडा है भरपूर मनुष्यत्व
नदी की तरह
अपनी मंज़िल पाने के लिए
संघर्ष करते रह
उनमें निराशा भी मिले तो
आत्महत्या करने का
क्षणिक विचार भी मत कर ।
क्योंकि प्रकृति का दिया हुआ
जीवन का अनमोल सौंदर्य
बहुत अनमोल होता है
इसलिए निराशा से उठ
दृढ़संकल्प कर ले
तुम संघर्ष के साथी हो
अपनी मंजिल हांसिल करने के लिए
जिंदगी का तो
यह एक पड़ाव हैं
बचपन, जवानी और बुढ़ापा
जहाँ दूसरे लोग पहुँचे हैं
छलाँग लगाकर
वहाँ तुम भी पहुँचेगा
मगर धीरे-धीरे
जिंदगी अनमोल है
उसे तुम पहचान धीरे-धीरे।।
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