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माँ | newsforum

©प्रीति विश्वकर्मा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 


पल पल मैंने जो रब से मांगा,

वो प्यारा वरदान है तू

मांगे बिना जो मिली रोशनी,

एक ऐसा चमत्कार है तू

आंखें खोलते ही देखुं जिसको,

माँ मेरी वो भगवान है तू

तू तो है माँ सच्चा फ़रिश्ता,

लबों पे रखती दुआ है तू..

बिन स्वार्थ का रिश्ता जग में,

जिसकी कणीधार है तू,

मुझको मिला ये स्वर्णिम जीवन,

जिसको देने वाली तू…

पल पल मैंने जो रब से मांगा,

वो प्यारा अहसास है तू …


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