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…. पूछते हैं | ऑनलाइन बुलेटिन

©कुमार अविनाश केसर

परिचय– मुजफ्फरपुर, बिहार


 

शहर में हो गया है कौन लापता, पूछते हैं,

लोग मुझसे ही मेरे घर का पता पूछते हैं।

 

 

ग़ायब है कोतवाली से इंसानियत की फ़ाइल

लोग हैं कि उन्हीं से उनकी खता पूछते हैं।

 

 

ये उड़ते हैं फाहों-सा नज़र के सामने मेरे,

सवालों में बेटियों का दुपट्टा, पूछते हैं।

 

 

जो लोग उजड़ गए तमन्नाओं के जाल में

हर ज़गह मुझसे दिल की खता, पूछते हैं।

 

 

मज़लूम हो गए इसी दर पे तेरे आशिक़,

तेरे दरबान उनसे तेरी अता पूछते हैं।

 


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