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आईना l ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़, मुंबई

परिचय– बिहार शरीफ़, नालंदा में जन्मी और पली-बढ़ी लेकिन मुंबई में निवास हैं, शिक्षा– एमसीए, एमबीए, आईटी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर, राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का नियमित प्रकाशन.


 

 

आईना हूँ मैं।

हाँ आईना हूँ मैं।

 

हर किसी को सामने रूबरू किया।

जो हुस्न देखना चाहा वो जलवा दिखा दिया।

 

कल भी वही मैं ,आज भी वहीं हूँ,

बदला तो सिर्फ़ किरदार बदल गया।

 

गर्द व गुब्बार पड़ चुका है दिल में,

किया तो साफ़ आईना किया।

 

ख़ुद में ताब नहीं आईना देखने की,

सुना है हर एक ने दूजे को दिखा दिया।

 

ग़लती से जो दिख गया ज़मीर मुझमें,

घर की दीवारों से नाम व निशान मिटा दिया।

 

टूट गया जो कभी ये आईना,

रोज़ देखने वालों ने रास्ता बदल लिया।


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